अहले बैत का मतलब नबी सल्लल्लाहु अलैह वसल्लम के घराने वाले
Hadees in Hindi – Alhe Bait Ki Kisme अहले बैत की किस्में :
अहले बैत की तीन किस्में हैं
1–सकनी- यानी घर में कयाम करने वाले काबिले रिहाइश यानी हुजूर
सल्लल्लाहु अलैह वसल्लम की तमाम अजवाजे मुतहरात (बिवियां)
2-निसबती व नस्ली – यानी जिन से हुजूर सल्लल्लाहु अलैह वसल्लम का
निसबती व नस्ली तआल्लुक है यानी हजरत मौला अली, सइयदा फातिमा, इमाम
हसन व इमाम हुसैन (रजिअल्लाहू अन्हुमा)।
3-ऐजाजी- यानी वो हस्तियाँ जिनको हुजूर सल्लल्लाह अलैह वसल्लम ने बतौर
ऐजाज अपने अहले बैत में शामिल किया और फरमाया हर परहेजगार उम्मती मेरी आअल है, जैसे-हजरत
सलमान फारसी (रजिअल्लाहूअन्हु)
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Ahle Bait Ki Mohabbat - अहले बैत की मोहब्बत
अहले बैत की मुहब्बत हर मुसलमान पर फर्ज है क्योंकि मुहब्बते अहले बैत ईमान की जान और शर्ते ईमान है उनकी मुहब्बत के बगैर किसी शख्स के दिल में ईमान दाखिल नहीं हो सकता हदीस पाक में वारिद है रहमते दो आलम सल्लल्लाहु अलैह वसल्लम ने फरमाया इस्लाम की बुनियाद मेरी और मेरे अहले बैत की मुहब्बत है और हम तमाम मुसलमानों के लिये हुक्मे खुदावन्दी है कि अहले बैत से मुहब्बत करो अहले बैत की मुहब्बत मुहब्बते रसूल है और मुहब्बते रसूल मुहब्बते खुदा है।
अहले बैत अतहार की शानो अजमत व कदरो मन्जिलत व कमालातो किरदार इन्तिहाई बुलन्द व बाला हैं अल्लाह रब्बुल इज्जत ने इन्हें मखसूस सिफात और पाकीजगी का आला तरीन नमूना बनाया और अजीम मरतबों से नवाजा अहले बैत अतहार की फजीलत में बेशुमार अहादीस मन्कूल हैं और इनकी शानो अजमत में आयाते कुरआनी नाजिल हुई हैं जिनमें बाज का तजकिरा हस्बे जैल है।
Quran Majid Me Shane Ahle Bait | कुरान मजीद मे शाने अहले बैत
कुरान मजीद में इरशादे बारी तआला है ऐ महबूब (सल्लल्लाहु अलैह वसल्लम) आप मुसलमानों से फरमां दीजिये कि मैं तबलीग पर तुमसे कोई बदला या सिला नहीं मांगता अलबत्ता मैं चाहता हूँ कि तुम मेरे कराबतदारों से मुहब्बत करो। (सू०-शूरा-२३)
वजाहतः – मजकूरा आयात में हुक्मे खुदावन्दी है कि ऐ महबूब आपमुसलमानों से फरमा दीजिये कि ऐ लोगों मैने जो तुम पर मेहनत की गारे हिरा में सज्दा रेज होकर आँसू बहाये और निहायत सखत मसाइबो आलाम बर्दास्त किये और तुम्हें तारीकियों से निकाल कर रोशन मकाम अता किया और तुम्हें गुमराहियों के अंधेरों से निजात देकर सिराते मुस्तकीम की राह दिखाई और मैने शिकम (मुबारक) पर पत्थर बाँधकर खन्दकें खोदी मैदाने उहद और तॉयफ में अपने जिस्म (अतहर) पर जख्म खाये और तुम्हें जहन्नुम से बचाकर राहे जन्नत पर डाल दिया और तुम्हें जहालत व जिल्लत से बचाकर इज्जत व इन्सानियत से हम किनार किया और तुम्हें दावते हक देकर तुम्हारी रहनुमाई की और ईमान से बहरेयाब किया।
इन तमाम एहसानात का मैं तुमसे कोई बदला या सिला नहीं माँगता मेरा अज्र तो मेरे रब के पास है और मुझे मेरा अज्र मेरा रब अता करेगा मैं तुमसे किसी अज का तालिब नहीं हूँ बल्कि मुझे तो तुम्हारे अज्र की फिक्र है जो तुम्हें मेरे कराबत दारों से मुहब्बत के बाइस मिलेगा मैं चाहता हूँ कि तुम मेरे अहले बैत से मुहब्बत करो इसी में तुम्हारी भलाई और बेहतरी है और दुनियाँ व आखिरत में अजे अजीम का बाइस है।
अल्लाह तआला और उसके रसूल (हुजूर सल्लल्लाहु अलैह वसल्लम) की कुर्बत और ईमान में पुख्तगी मेरे अहले बैत की मुहब्बत से हासिल होगी इसलिये मैं चाहता हूँ कि तुम मेरे अहले बैत से मुहब्बत करो।
Ahle Bait Ki Shan Me 10 Hadees Hindi Me | अहले बैत की शान मे 10 हदीसें
Hadees 1
मुहिब्बे तबरी ने एक रिवायत नकल फरमाई है कि हुजूर नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया : अल्लाह तआला ने तुम (उम्मती) पर जो मेरा अज्र मुकर्रर किया है वह मेरे अहलेबैत से मुहब्बत करना है। और मैं कल तुमसे उनके बारे में दर्याफ्त करूंगा। (सवाइके मुहर्रका सफा 753)
Hadees 2
हजरत अब्बास रजियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि रसूले मकबूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया : जो नेमतें अल्लाह तआला तुम (उम्मती) को दे रहा है उनके बाइस उनसे मुहब्बत रखो और मुझसे खुदाए तआला की मुहब्बत की वजह से मुहब्बत रखो और मेरी मुहब्बत की वजह से मेरे अहलेबैत से मुहब्बत रखो। (तिर्मिजी शरीफ-जिल्द 2 सफा : 768)
Hadees 3
तबरानी ने हजरत इब्ने उमर रजियल्लाहु अन्हुमा से एक रिवायत नकल फरमाई है कि हुजूर नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने आखरी कलाम यह फरमाया कि मेरे अहले-बैत के मुतअल्लिक मेरे जांनशीन बनो।
(सवाइके मुहर्रका सफा : 507)
Hadees 4
हजरत अबू-बक्र ख्वारजमीं के हवाले से रिवायत नक्ल की गयी है कि रसूलुल्ल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम तशरीफ लाए तो आपका रुखे अनवर इस तरह तलअतबार था जैसे चाँद का दायरा। हजरत अबदुर्रहमान बिन औफ रजियल्लाहु अन्हु ने उस मुसर्रत के मुतअल्लिक पूछा तो आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया : मुझे मेरे परवरदिगार की तरफ से बशारत दी गयी है कि मेरे चचाजाद भाई अली और मेरी चहेती बेटी फातिमा को अल्लाह तआला ने रिश्तए जौजीयत में मुन्सलिक फरमाकर रिजवाने खाजिने जन्नत को हुक्म फरमाया कि वह जन्नती दरख्त तूबा को हिलाए. और उसके गिरने वाले तमाम पत्ते मुहिब्बाने अहले-बैत की तादाद के मुताबिक उठा लिये जाएं। फिर तूबा के नीचे नूर से फरिश्ते पैदा किए और वह पत्ते फरिशतो को दिए गए। पस जब क्यामत काइम होगी तो फरिशते तमाम मखलूकात में निदा फरमाएंगे और मुहिब्बाने अहलेबैत में से कोई शख्स भी ऐसा शख्स न होगा जिसे वह पत्ता न दिया जाए और उस पत्ते पर मुहिबाने अहले-बैत के लिये जहन्नम से रिहाई के बारे में लिखा होगा। …
(सवाइके मुहर्रका सफा : 581)
Hadees 5
तबरानी और हाकिम हजरत इब्ने अब्बास रजियल्लाह अनहुमा रिवायत करते हैं कि रसूले काइनात सल्लल्लाहु अलैहि वसलम फरमाया: अगर कोई शख्स बैतुल्लाह शरीफ के एक गोशा और मकामे इब्राहीम के दर्मियान चला जाये और नमाज पढ़े और रोजे रखे फिर व अहलेबैत की दुशमनी पर मर जाए तो जहन्नम की आग में जाएगा।
(सवाइके मुहर्रका सफा : 795)
Hadees 6
रसूले करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया: अल्लाह तआला मेरे अहले-बैत पर जुल्म करने वाले, उनसे जंग करने वाले और उन्हें बुरा कहने वाले इन सब पर जन्नत हराम कर दिया है।
(सवाइके मुहर्रका सफा : 765-खसाइसुल कुबरा जिल्द दोम सफा : 466)
Hadees 7
तबरानी ने ब्यान किया है कि रसूले करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने हजरत अली से फरमाया: तू और तेरे अहलेबैत और तुम्हारे चाहने वाले (मोहब्बत करने वाले) जिन्होंने मेरे सहाबा को. गाली देने की बिदअत एखतियार नहीं की वह हौजे कौसर पर सैराब और सफेद-रू जाहिर होंगे। और तुम्हारे दुशमन प्यासे और सर उठाए हुए आएंगे।
.. (सवाइके मुहर्रका सफा : 766)
Hadees 8
वैल्मी ने हजरत अबू हुरैरा रजियल्लाहु अन्हु से रिवायत किया कि हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया: तुममें जयादा बेहतर वह है जो मेरे बाद मेरे अहले-बैत के लिये साबित हो।
(सवाइके मुहर्रका सफा 622)
Hadees 9
मुहिब्बे तबरी ने शर्मुन्नुबुव्वत में हजरत अबी सईद से बिला असनाद ब्यान किया है कि मैं और अहलेबैत जन्नत का दरख्त हैं और उसकी शाखें दुनिया में हैं जो उनसे वाबस्ता रहेगा वह अपने रब की तरफ रास्ता पाएगा।
(सवाइके मुहर्रका, सफा :780)
Hadees 10
हजरत मौला अली रजियल्लाहु अन्हु से मरवी है कि रसूले खुदा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया: तुममें से सबसे ज्यादा पुलसिरात पर साबित कदम रहने वाला वह शख्स होगा. जो मेरे अहलेबैत और मेरे असहाब की मुहब्बत में ज्यादा मज़बूत कवी और सख्त होगा।.
(सवाइके मुहर्रका सफा : 624
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