Benamazi Ka Anzam Quran Hadees Me | बेनमाज़ी का अंजाम कुरान हदीस में | Quraanhadees
Benamazi Ka Anzam Quran Hadees Me | बेनमाज़ी का अंजाम
(कुरान हदीस में)
जान बूझकर नमाज़ कज़ा करने वालों के बारे मे कुरआन पाक मे इरशाद होता है।:-
फवैलुल लिल मुसल्लिीनल अल लजीना हुम अन सलातिहिम साहून (अल माऊन आयत 4.5)
तर्जुमा ए कंजुल ईमानः तो उन नमाजियों की खराबी है। जो अपनी नमाज़ से भूले बैठे हैं। जहन्नम मे एक वैल नामी खौफनाक वादी है।
जिसकी सखती से खुद जहन्नम भी पनाह माँगता है। जान बूझकर नमाज़ कज़ा करने वाले उसके
मुसतहक हैं। कसदन नमाज़ कजा करने वालों के लिए। अहादीस मे भी अजाब वारिद हुऐ हैं।
खौफे खुदा वन्दी से लरजिऐ बे नमाजियों पर चंद हदीसें
हदीस शरीफ :1. हुजूर नबीऐ अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद
फरमाया: अस्सलातु इमादुद् दीन मन अकामहा अकामद दीन व मन तरकहा फकद हदामद दीन.
तर्जमा : नमाज दीन का खम्बा है। जिसने नमाज़ को कायम किया. उसने
दीन को कायम किया. और जिसने नमाज़ को छोड़ दिया उसने दीन को अपने पीठ के पीछे डाल
दिया. (ये हदीस शरीफ अकसर किताबों में मौजूद है।)
हदीस शरीफ 2. हुजूर नबीऐ अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद
फरमाया: मन तरकस सलाता मुताअम्मिदन फक़द कफारा.
तर्जमा: कि जो शख्स नमाज़े हमेशा छोड़ता रहा तहकीक कि वो काफिर
हो गया.
हदीस शरीफ 3. हुजूर नबीऐ अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद
फरमाया कि जो शख्स एक वक्त की नमाज़ छोड़ देगा तो उसके बदले दो करोड अठासी साल तक
जहन्नम की आग मे उसे जलना होगा. (नमाज और मेडीकल साइंस)
हदीस शरीफ 4. हुजूर नबीऐ अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने ये भी
इरशाद फरमाया कि जो शख्स जान बूझ कर एक नमाज़ छोड़ता है। उसका नाम जहन्नम के
दरवाजे पर लिख दिया जाता है।.
हदीस शरीफ 5. हुजूर नबीऐ अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने ये भी इरशाद फरमाया कि मै चाहिता हूँ। कि कोई मेरी जगह पर खड़ा होकर नमाज़ पढ़ा दे और मैं जाकर उन लोगों के घरों में आग लगा दूँ जो लोग नमाज़ पढ़ने नही आते हैं।.
हदीस शरीफ 6. हुज़ूर नबीऐ अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने ये भी इरशाद फरमाया कि अपने घरों को कब्रिस्तान ना बनाओ यानी उसमे भी कभी नमाज पढ़ लिया करो. अब जरा गौर करें कि जिस घर मे नमाज़ नही पढ़ी जाऐ वो घर कब्रिस्तान की तरह है। अगर उसमे नमाज़ नही पढ़ी जाऐगी तो वो घर कब्रिस्तान की तरह वीरान रहेगा. कभी आबाद नही होगा.
हदीस शरीफ : 7. हुजूर नबीऐ अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने ये भी इरशाद फरमाया कि अपने घरों मे भी मस्जिदे बैत बनाओ यानी घर मे एक जगह ऐसी बनाओ जहाँ घर के सभी अफराद नमाज़ पढ़ते रहे लेकिन ये सिर्फ औरतों और बच्चियों के लिऐ है। और मर्द हज़रात के लिऐ ये है। कि वो कभी कभी नमाज़ की सुन्नते घर पर ही पढ़ लिया करें। और फर्ज़ नमाज़ हर हाल मे मस्जिद में अदा करें इस लिऐ कि मस्जिद में नमाज़ अदा करने मे 27/दर्जे ज्यादा सवाब मिलता है।.
हदीस शरीफ :8. हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि जो फजिर की नमाज नही पढ़ता जब फजिर की अजान होती है। शैतान उसके बिस्तर पर आता है। और उसकी पीठ पर हाँथ फेरता है। और कहता है। नम नम यानी सोजा सोजा इस लिऐ उस वक्त मीठी नींद आती है। और वो जल्दी उठता नही है। यहाँ तक कि जब फजिर की नमाज़ का वक्त खत्म होता है। इन्नश शैताना यबूलो फी फी तो शैतान उसके मुंह मे
पैशाब करता है। और चला जाता है। एक सहाबी खड़े हुऐ और अर्ज किया या रसूल अल्लाह शैतान मुंह मे पेशाब करता है। मतलब समझ मे नही आता कि वो पैशाब कैसे करता है। तो मेरे आका ने इरशाद फरमाया कि मैं समझाता हूँ। कि वो पैशाब की शक्ल मे इंसान के मुंह मे वसवसे डालता है। और याद रखना वो कतरे दिल मे जाऐंगे और वो दिल मे जमआ ना हों वरना अल्लाह तुम्हारे ईमान को छीन लेगा.
हदीस शरीफ.9 अल्लाह के हबीब सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम फरमाते है। कि अगर उसने एक वक़्त की नमाज जान बूझकर जागते मे कजा करदी (छोड़दी) थी तो एक वक़्त की नमाज़ छोड़ने के बदले में उस पर 99/ साँप मुसल्लत कर दिए जाते हैं।
जिस मे से एक एक साँप की ताकत का आलम ये है। कि अगर वो किसी पहाड़ पर फुनकार मारे तो पहाड़ रेजा रेजा हो जाऐ या अगर वो दुनिया मे फुनकार दे तो उसकी गरमी से दुनिया के सारे इंसान मर जाऐं ऐसे 99/ साँप उस मुर्दे पर मुसल्लत कर दिए जाते हैं। उसके बाद एक फरिशता जो आँख से देखता नही और कान से सुनता नही जो जुबान से बोलता नहीं गूँगा अन्धा और बेहरा फरिशता उसपेमुसल्लतकिया जाता है। और नमाज़ छोड़ने की वजेह से सिर्फ एक गुर्ज ( हथौड़ा) जब उसके मारता है। तो वो ऐसे पिस जाता है। जैसे चने पर हथौड़ा मारने से चना पिस जाता है।. (आमऐ कुतुब वगैरह )
हदीस शरीफ : 10. कुर्रतुल उयून,, में नकल करदा एक
हदीस पाक में ये मज़मून है कि उम्मते मुस्तफा (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) के दस
अफराद ऐसे है। जिन पर अल्लाह अज्जो वजल बरोजे कयामत गजबनाक होगा, और
उनके चहरे बगेर गोश्त के हड्डियो का खोल होंगे और उन्हें जहन्नम की जानिब ले जाने
का हुक्म सादिर फरमाऐगा. वो दस अफराद ये है।
(1) बुढ़ा जानी
(2) गुमराह पेशवा
(3)शराबी
(4) माँ बाप का न फरमान
(6) चुगुल खोर झूटी गवाही देने वाला
(7) ज़कात न देने
वाला
(8) सूद खोर (खाने) वाला
(9) जालिम
(10) और बे नमाज़ी. मगर बे नमाज़ी के लिऐ दुगना अज़ाब होगा, और बे नमाज़ी बरोज़े क्यामत इस हाल में उठेगा, कि उसके दोनो हाथ उसकी गरदन में बंधे होंगे, और फरिश्ते उसकी पिटाई कर रहे होंगे, जन्नत उस से कहेगी, तू ना मुझ से है। और ना मैं तुझ से, और जहन्नम कहेगा, मे तुझ से हूँ। और तु मुझ से, कसम है अल्लाह अज्जो वजल की यकीनन में तुझे शदीद तरीन अज़ाब दूँगा, उस वक्त उसके लिऐ दोज़ख का दरवाज़ा खुल जाऐगा, और वो तेज़ रफतार तीर की मानिन्द दोजख में दाखिल हो जाऐगा.